जी नहीं, अपने कॉलम के माध्यम से मैं कोई ऐसा प्रस्ताव नहीं दे रहा हूं कि राजीव
खंडेलवाल के कार्यक्रम को 'सच का सामना' की जगह पर 'सेक्स का सामना' नाम दे दिया जाए। मेरा मूल इरादा दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में किए गए एक सर्वेक्षण पर टिप्पणी करने का था, जिसमें कहा गया है कि सेक्स की कमी से महिलाओं में अवसाद की बीमारी बढ़ रही है। 'सच का सामना' को मैं एक दूसरा नाम देना चाहूंगा- 'स्ट्रिपटीज'। जैसे नाइट क्लब में महिलाएं (कुछ प्राइवेट पार्टियों में पुरुष भी) खा-पी रहे ग्राहकों के सामने एक-एक करके कपड़े उतारती हैं, कुछ वैसा ही 'सच का सामना' में हो रहा है। किसी व्यक्ति के निजी जीवन में अनेक त्रासद अनुभव होते हैं और उनमें से अनेक सेक्स से जुड़े होते हैं। एक मनोविश्लेषक के सामने बैठकर व्यक्ति जब इस तथाकथित सच को बताता है, तो उसका उद्देश्य पैसा कमाने के लिए कपडे़ उतारना नहीं होता है। वह अपनी दमित इच्छाओं से मुक्ति पाना चाहता है। राजीव खंडेलवाल जब कुर्सी पर बैठे व्यक्ति की किसी 'पेनफुल सचाई' को सार्वजनिक कर देते हैं, तो उनकी अगली टिप्पणी इनाम की बढ़ती राशि से जुड़ी होती है कि और कपड़े उतारो, पैसे मिलेंगे।
सप्ताह के एक कार्यक्रम में एक महिला अपने पति के अपनी भाभी से रिश्तों के संदेह की बात लाई क्टर मशीन पर स्वीकार कर लेती है। पति (जो उस महिला से अलग रह रहा है) को राजीव खंडेलवाल सफाई देने का मौका देते हैं और जवाब मिलता है कि मेरे भाई को भी यही शक था, पर वास्तव में ऐसा कुछ नहीं है। लाइन क्लियर। लेकिन इस सवाल के जवाब के लिए तो पति महोदय के लाई डिटेक्टर टेस्ट की जरूरत थी। बेचाई पत्नी को लाई डिटेक्टर पर बैठा रखा है और संदिग्ध व्यक्ति बिना मशीन के अपनी सफाई देने के लिए स्वतंत्र है। स्ट्रिपटीज (जिसे कैबरे भी कहा जाता है) अब नाइट क्लब के अंधेरे में नहीं- टेलिविजन सेट की रोशनी में हो रही है। खैर, पिछले दिनों महंगाई के अलावा देश में तीन ही चीजों पर बातें हो पा रही हैं- शाइनी आहूजा, राखी सावंत और सच का सामना। एक दिलचस्प खबर के अनुसार अमेरिका में एक वेबसाइट ने 4 अगस्त को 'द मेगन फॉक्स मीडिया ब्लैकआउट डे' घोषित कर दिया, चूंकि मेगन फॉक्स राखी सावंत की तरह हॉलिवुड में रोज खबरों में रहने के तरीके खोजती रहती हैं। भारत में 15 अगस्त को 'राखी सावंत ब्लैक आउट डे' घोषित किया जा सकता है। शुरू में राखी सावंत का अंग्रेजी न जानने के बावजूद प्रभु चावला, करण जौहर और आमिर खान की नजरों में आ जाना एक उपलब्धि लग रही थी। लेकिन अब वह मीडिया की एक महाबोरियत हो चुकी हैं। राखी सावंत की छवि का रिश्ता भी सेक्स से है। आइटम गर्ल आखिर कल की हैलेन का समकालीन अवतार है। अब स्वयंवर के नाटक में सब कुछ देखकर ऐसा लग रहा था कि सत्तर चूहे खाकर बिल्ली हज करने को चली है। वैसे एनआरआई से मंगनी के बाद राखी सावंत अंग्रेजी सीख जाएंगी और उनका रहा-सहा 'चार्म' भी खत्म हो जाएगा। दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल की रिपोर्ट बताती है कि डिप्रेशन की शिकायत के साथ आई 80 फीसदी महिलाएं अपने पति के साथ सेक्स संबंधों से संतुष्ट नहीं हैं। सर्वेक्षण में मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाली महिलाओं से शुरू होकर साधारण गृहणियों को भी शामिल किया गया था। यानी राखी सावंत, राजीव खंडेलवाल आदि से अधिक महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि भारतीय पुरुष अपने घनघोर मर्दवादी रवैये को बदलें। उनका सच जानने के लिए किसी लाई डिटेक्टर मशीन की भी जरूरत नहीं है।
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