मंगलवार, 1 दिसंबर 2009
36 घंटे बाद भी नहीं हटा पेड़
-पुलिस के जवान भी नक्सली खौफ के साये मेंआमझोर से लौटकर
अशोक सिंह : पूरे पटमदा में नक्सली खौफ सिर चढ़कर बोल रहा है। पुलिस चाहे जो दावे करे, फील्ड में वह अपनी मांद में ही घुसे रहने में खैरियत समझती है। हालात को इससे भी समझा जा सकता है कि आमझरा में बम विस्फोट के 36 घंटे बाद भी सड़क पर पेड़ ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है। पुलिस के जवान पेड़ को हाथ लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे। पुलिस वाले अपने कैंप में ही जमे हैं। सीआरपीएफ ने मोर्चा संभाला भी है तो घटनास्थल से दूरी बनाकर।क्षेत्र का दौरा करने के बाद जानकारी मिली कि पुलिस को नक्सलियों की बंदी के समाप्त होने का इंतजार है। इसके बाद ही पेड़ हटाने का काम शुरू होगा। क्षेत्र के लोगों की दिनचर्या रुक गयी है। सड़कों पर सिर्फ साइकिलें व मोटरसाइकिलें ही नजर आ रही हैं। चार पहिया वाहनों का परिचालन पूरी तरह ठप है। वैसे जमशेदपुर से पटमदा की ओर जाने वाली सड़क पर 11 किलोमीटर तक स्थिति सामान्य है लेकिन भादुडीह वन चेकनाका से आगे बढते ही नक्सलियों की बादशाहत साफ दिखती है। सुनसान सड़कें और सड़कों पर गश्त करते इक्का-दुक्का सीआरपीएफ जवान। जिस पुल को नक्सलियों द्वारा उड़ाए जाने का सर्वाधिक खतरा है, वहां सिर्फ एक सीआरपीएफ जवान बैठा मिला। बामनी चौक पर पुलिस वाले रोकते हैं। आगे जाने से मना करते हैं। बावजूद इसके आगे बढ़ने पर ग्राम पंचायत कुईयानी में सीआरपीएफ कैंप है। कुछ ही दूरी पर बोड़ाम थाना है। थाने की छत पर से दो पुलिस वालों ने मोर्चा संभाल रखा है तो घटनास्थल से आधा किलोमीटर पहले चामटा पुलिस कैंप में जवानों की चहलकदमी है। खास बात यह कि यह चहलकदमी कैंप के बाहर नहीं है। आगे बढ़ने पर आमझोर प्राथमिक विद्यालय के सामने करीब 500 सौ की संख्या में स्थानीय लोगों की बैठक चल रही थी। थोड़ी ही दूर पर कल की घटना का जीवंत गवाह पेड़ गिरा पड़ा है। यहां आसपास पुलिस की परछाई भी नहीं है।
दलमा क्षेत्र को लालगढ़ बनाने की तैयारी
-छत्रधर महतो बनने की फिराक में जालन मार्डीजमशेदपुर : पश्चिम मेदिनीपुर के लालगढ़ में जिस तरीके से माओवादियों ने पुलिस संत्रास प्रतिरोध समिति को आगे कर अपनी योजना को मूर्त रूप दिया, ठीक उसी तर्ज पर दलमा जोन में नक्सलियों ने तैयारी करनी शुरू कर दी है। पहले चरण में उग्रवादियों में गांव-गांव घूमकर ग्रामीणों को एकजुट करना शुरू कर दिया है। पुलिस-प्रशासन के खिलाफ गांव वालों का 'ब्रेनवाश' किया जा रहा है। परिणाम, पूरे क्षेत्र में पुलिस के खिलाफ हल्की ही सही आवाज बुलंद होने लगी है। बोड़ाम थाना क्षेत्र के आमझोर में हुई नक्सली वारदात के बाद स्थानीय लोगों की पुलिस के खिलाफ एकजुटता इस बात का प्रमाण है कि आने वाले दिनों में पुलिस को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आज आमझोर बम विस्फोट घटनास्थल से मात्र पांच सौ मीटर की दूरी पर लगभग पांच सौ की संख्या में महिला-पुरुष एकजुट हुए और पुलिस के प्रति जबरदस्त आक्रोश का प्रदर्शन किया। ऐसी बात भी नहीं कि आमझोर में जुटे ग्रामीणों में वे शोकसंतप्त थे जिन्होंने कल की घटना में अपने परिजनों को खो दिया है। साफ है कि ग्रामीणों में पुलिस के खिलाफ उभरी नाराजगी 'स्पांटेनियस' है। ग्रामीणों का प्रतिनिधित्व गांव गणराज्य परिषद के जालन मार्डी कर रहे हैं। वैसे तो परिषद सामाजिक संगठन है लेकिन इसने गांवों में अच्छी-खासी पैठ बना रखी है। अचरज की बात यह कि ग्रामीणों की इस जुटान से पांच सौ मीटर की दूरी पर स्थित पुलिस कैंप अनजान-अनभिज्ञ है। पूर्वी सिंहभूम जिले से सटी बंगाल की सीमा पर नक्सलियों की मजबूत पकड़ है। दलमा क्षेत्र में खोखरो, गुमानडीह, कोयरा, सोमाडीह, चामटा, सासांगडीह, पहाड़पुर, कुईयानी, बोड़ाम, डांगरडीह, पाथरडीह, आमझोर, झिंझिरगोड़ा, पोड़ाखुंटा, बड़दह, धबनी, सुतरीउली, डांगार, डांगाडुंग, मुचीडीह, आंधरझोर, केंदाडीह, राधमागोड़ा, बेलगोड़ा, चिमटी, बोंटा व भादुडीह आदि ऐसे गांव हैं, जहां नक्सलियों ने अपना साम्राज्य स्थापित कर रखा है। नक्सली गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने चुनाव में 41 पोलिंग बूथ को स्थानांतरित कर दिया था। दलमा दस्ता दलमा के तराई में स्थित घुसित झरना व गुड़ाबांधा दस्ता अपने क्षेत्र में मूवमेंट करता रहता है जबकि बेलपहाड़ी दस्ता वर्तमान में अपना क्षेत्र छोड़ कर लालगढ़ में कैंप कर रहा है।
दलमा क्षेत्र को लालगढ़ बनाने की तैयारी
-छत्रधर महतो बनने की फिराक में जालन मार्डीजमशेदपुर : पश्चिम मेदिनीपुर के लालगढ़ में जिस तरीके से माओवादियों ने पुलिस संत्रास प्रतिरोध समिति को आगे कर अपनी योजना को मूर्त रूप दिया, ठीक उसी तर्ज पर दलमा जोन में नक्सलियों ने तैयारी करनी शुरू कर दी है। पहले चरण में उग्रवादियों में गांव-गांव घूमकर ग्रामीणों को एकजुट करना शुरू कर दिया है। पुलिस-प्रशासन के खिलाफ गांव वालों का 'ब्रेनवाश' किया जा रहा है। परिणाम, पूरे क्षेत्र में पुलिस के खिलाफ हल्की ही सही आवाज बुलंद होने लगी है। बोड़ाम थाना क्षेत्र के आमझोर में हुई नक्सली वारदात के बाद स्थानीय लोगों की पुलिस के खिलाफ एकजुटता इस बात का प्रमाण है कि आने वाले दिनों में पुलिस को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आज आमझोर बम विस्फोट घटनास्थल से मात्र पांच सौ मीटर की दूरी पर लगभग पांच सौ की संख्या में महिला-पुरुष एकजुट हुए और पुलिस के प्रति जबरदस्त आक्रोश का प्रदर्शन किया। ऐसी बात भी नहीं कि आमझोर में जुटे ग्रामीणों में वे शोकसंतप्त थे जिन्होंने कल की घटना में अपने परिजनों को खो दिया है। साफ है कि ग्रामीणों में पुलिस के खिलाफ उभरी नाराजगी 'स्पांटेनियस' है। ग्रामीणों का प्रतिनिधित्व गांव गणराज्य परिषद के जालन मार्डी कर रहे हैं। वैसे तो परिषद सामाजिक संगठन है लेकिन इसने गांवों में अच्छी-खासी पैठ बना रखी है। अचरज की बात यह कि ग्रामीणों की इस जुटान से पांच सौ मीटर की दूरी पर स्थित पुलिस कैंप अनजान-अनभिज्ञ है। पूर्वी सिंहभूम जिले से सटी बंगाल की सीमा पर नक्सलियों की मजबूत पकड़ है। दलमा क्षेत्र में खोखरो, गुमानडीह, कोयरा, सोमाडीह, चामटा, सासांगडीह, पहाड़पुर, कुईयानी, बोड़ाम, डांगरडीह, पाथरडीह, आमझोर, झिंझिरगोड़ा, पोड़ाखुंटा, बड़दह, धबनी, सुतरीउली, डांगार, डांगाडुंग, मुचीडीह, आंधरझोर, केंदाडीह, राधमागोड़ा, बेलगोड़ा, चिमटी, बोंटा व भादुडीह आदि ऐसे गांव हैं, जहां नक्सलियों ने अपना साम्राज्य स्थापित कर रखा है। नक्सली गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने चुनाव में 41 पोलिंग बूथ को स्थानांतरित कर दिया था। दलमा दस्ता दलमा के तराई में स्थित घुसित झरना व गुड़ाबांधा दस्ता अपने क्षेत्र में मूवमेंट करता रहता है जबकि बेलपहाड़ी दस्ता वर्तमान में अपना क्षेत्र छोड़ कर लालगढ़ में कैंप कर रहा है।
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