मैं भरत नाम के दो पुत्रों से हूँ भारत .
मैं भारत हूँ, मैं भा-रत हूँ , मैं प्रतिभा-रत..
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जब जब असभ्य इरविन कोई इतराएगा.
तब तब यह भारत,भगत सिंह बन जाएगा.
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है बहुत गहरा अन्धेरा , रास्ते मुश्किल भरे .
पर मेरे दिल को पता है-अब सुबह होने को है.
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