गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

गाउन पहन लहराया टैलेंट का परचम

जमशेदपुर, नगर संवाददाता : स्थान-एक्सएलआरआइ। दिन- बुधवार। मौका था 56वां दीक्षांत समारोह का। प्रबंधन की पढ़ाई पूरी कर चुके सत्र 2010-12 के छात्रों में मेडल एवं अवार्ड लेने की ललक साफ दिख रही थी।


शाम पांच बजते ही एक्सएलआरआइ ऑडिटोरियम छात्रों व अभिभावकों से भर चुका था। जूनियर छात्र अपने सीनियर (पास आउट) को बधाई दे रहे थे। दीक्षांत समारोह कुछ ही देर में शुरू होने वाला था लेकिन कई छात्रों के माता-पिता की फ्लाइट अभी लैंड नहीं हुई थी। शाम सात बजे दीक्षांत समारोह शुरू हुआ तो भविष्य के भावी मैनेजर गाउन पहने सामने आए। लगा नई दुनिया की इस सरजमीं पर भारी संख्या में खेवनहार आएं हो। तालियों से कई मिनट तक टाटा सभागार गूंजता रहा। शिखर पर पहुंच चुके स्टैंडर्ड चार्टर्ड के सीईओ जसपाल सिंह बिंद्रा व इंफोसिस के मुख्य परामर्शदाता (चीफ मेंटर) एनआर नारायण मूर्ति को अपने बीच पाकर छात्र फूले नहीं समा रहे थे। भावी मैनेजर इन महारथियों की हर गतिविधि से प्रेरणा ले रहे थे।

इस दौरान 257 छात्रों को मेडल दिये गये। इनमें कुछ को विभिन्न अवार्ड से सम्मानित किया गया।

यहां यह बता दें कि इस साल बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की कंपनी मैकिंजे एंड कंपनी के अलावा डेलॉइट ने सबसे अधिकतम वेतनमान चालीस लाख पर एक्सएलआरआइ के 12 छात्रों को अनुबंधित किया है। इस साल न्यूनताम वेतनमान 15.50 लाख के सालाना पैकेज पर छात्रों को विभिन्न मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिली है। अवार्ड पाने के बाद सभी भावी प्रबंधकों ने अपने टोपियों को हवा में उछाल दिया।

नए आइडिया पर काम करें, जवान बने रहें : बिंद्रा


जमशेदपुर, नगर संवाददाता : हर दिन किसी न किसी नई सोच के साथ मैदान में आना होगा। आज हर दिन कुछ अलग करने की कोशिश होनी चाहिए, तभी लोग देखेंगे। तभी लोग खरीदेंगे। यह बातें जमशेदपुर स्थित एक्सएलआरआइ के 56वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एशिया (सीईओ) जसपाल सिंह बिंद्रा ने कहीं। उन्होंने कहा कि स्कूलिंग खत्म हो जाती है, लेकिन सीखना हमेशा जारी रहता है।

एक्सएलआरआइ के भावी प्रबंधकों को बिंद्रा ने सलाह दी कि मेहनत के साथ-साथ समय का इंतजार करना चाहिए। आप अचानक किसी दिन जंप कर जाएंगे। हांगकांग, सिंगापुर, भारत सहित एशिया के 19 देशों में बतौर स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिम्मेदारियां निभा रहे बिंद्रा ने कहा कि सफल होने के लिए दो चीजें जरूरी हैं। पहला बेहतर फैसले लेना व दूसरा अनुभव लेना और देना। अपने अनुभव बांटते हुए बिंद्रा ने बताया- काफी पहले मैं अमेरिका में काम करता था। एक दिन मुझे सान फ्रांसिस्को में एक प्रोजेक्ट तैयार करने को कहा गया। मैं काफी परेशान था यह सोच कर कि कैसे कर पाऊंगा। फिर बाद में मुझे याद आया कि मैं जसपाल सिंह बिंद्रा हूं। सबकुछ कर सकता हूं। उन्होंने कहा कि आज के समय में आप किसी को नजरअंदाज नहीं कर सकते। हम अपने परिवार को और काम को नजरअंदाज कर सकते हैं, लेकिन प्रतिभा को कभी नहीं।










हर कोई बने अन्ना हजारे

अशोक सिंह, जमशेदपुर


भ्रष्टाचार भारतीय व्यवस्था की नींव में समा चुका है और अब यह उसे खोखला कर रहा है। इसे मिटाने के लिए हम सबको एक साथ खड़ा होना चाहिए। यह बातें बुधवार को इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने एक्सएलआरआइ में दैनिक जागरण से खास बातचीत में कही।

यह पूछने पर कि क्या अन्ना के आंदोलन से भ्रष्टाचार मिट पाएगा? नारायण मूर्ति ने कहा कि बिल्कुल.., हमें उनका साथ देना चाहिए। हम सबको अन्ना हजारे बनना चाहिए। उनकी मांगों को मान लिया गया तो काफी हद तक भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है। आज देश में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या बन चुकी है। युवाओं को इसके लिए आगे आना होगा। अपनी नींव (उच्च शिक्षा) में सुधार लाना होगा।

अपने समय के 12 महानतम उद्यमियों में से एक मूर्ति ने कहा कि एकजुट होकर हम लड़ेंगे तो शायद इस समस्या का समाधान निकल सके। भारतीय कंपनियों की कॉरपोरेट नैतिकता व समाजिक जिम्मेदारियों के सवाल पर नारायण मूर्ति ने कहा कि टाटा स्टील इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। टाटा स्टील कारपोरेट नैतिकता की ध्वजवाहक है। एक्सएलआरआइ में सर जहांगीर गांधी अवार्ड से सम्मानित मूर्ति ने कहा कि टाटा स्टील के सामाजिक उत्तरदायित्व का दुनिया में डंका बजता है। इसके अलावा हिन्दुस्तान में कई कंपनियां है जो अपने सामाजिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं। मूर्ति के अनुसार हर कंपनी, हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी निभाए तो हमें शिखर पर पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता है।