रवींदनाथ ठाकुर के इस कथन को कई जगहों पर कई तरह से उद्धृत किया गया है कि प्रेम तो खिड़की के रास्ते से आता है , पर उसके साथ यातना दरवाजे से आती है। हाल में रिलीज हुई फिल्म ' जन्नत ' में इस जटिल कथन को एक चालू संवाद में घटिया और सतही बना दिया गया है। खैर! प्रेम की इस तीखी सचाई का जिक्र उर्दू शायरी में भी हुआ है। आग के दरिया में डूबकर जाना पड़ता है। यह इश्क आसान नहीं है। एक मित्र ने अपना दिलचस्प फॉर्म्युला सुनाया। उन्होंने कहा कि मैं इश्क करता हूं पर मेरा नियम है कि पड़ोस और दफ्तर से दूर रहूं। इश्क के ये मैदान प्रेम कम और यातना अधिक लाते हैं। बहरहाल वह मित्र वुमेनाइजर के तमगे को फौजी के तमगों की तरह शान से टांगना पसंद करते हैं। इसलिए वह नियम बना सकते हैं। पर क्लासिकल लवर इश्क के लिए प्लानिंग नहीं कर सकता है। यह प्रेम की दुखद और सुखद सचाई है। पिछले दिनों टाइम्स ऑफ इंडिया ने ' न्यूजवीक ' में प्रकाशित दफ्तरों के ' लव कॉन्ट्रैक्ट ' के एक विश्लेषण को प्रकाशित किया है। इस सर्वेक्षण पर आधारित विश्लेषण में ऑफिस रोमांस से संबद्ध कई दिलचस्प तथ्य सामने आए हैं। यह विश्लेषण अमेरिकी कॉरपोरेट समाज का है। लेकिन इसे आधुनिक भारतीय शहरों के वर्क कल्चर से बहुत दूर नहीं माना जा सकता है। कॉल सेंटरों की दुनिया ऑफिस रोमांस के रास्ते आसान कर रही है। हाल में एक रिपोर्ट में यह पढ़ने को मिला कि रात को कॉल सेंटरों में जाने वाली लड़कियां सेक्सी और सीडक्टिव ड्रेस पहनना पसंद करती हैं। वे नहीं चाहती कि दफ्तर में दादी मां की तरह नजर आएं। शानेल की खुशबू , स्वैच घड़ी का टाइम और लीवाई की जींस- जाहिर है माहौल बदल जाता है। एक पुरुष कर्मचारी का कहना है कि मेरी सहकर्मी जब स्मार्ट ड्रेस पहन कर आती है तो एक गर्म सूखे दिन में राहत देने वाली पानी की बूंदों का एहसास होता है। ' इससे वर्क एडरीनल तेज होता है और जाहिर है कि दूसरे एडरीनल भी धड़कने लगते हैं... ' जाहिर है कि पहले प्रकार के एडरीनल की पंपिंग बढ़ने से कॉरपोरेट व्यवस्था खुश रहती है। लेकिन दूसरे एडरीनल धड़कने से समस्याएं पैदा हो जाती हैं। ' न्यूजवीक ' के सर्वेक्षण के अनुसार 46 फीसदी कर्मचारी अपने जीवन में ऑफिस रोमांस को स्वीकार करते हैं और रुकिए , 13 फीसदी ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि हमने ऑफिस रोमांस को कभी महसूस तो नहीं किया पर हम बहुत उत्सुक हैं इस रोमांस और रोमांच के लिए। काम के घंटे बढ़ गए हैं और दफ्तर का माहौल भी अधिक अनौपचारिक (और अधिक सेक्सी) हो गया है। लेकिन अमेरिकी कंपनियों को इस कंबख्त ऑफिस रोमांस ने तमाम कानूनी लड़ाइयों में उलझाया हुआ है। रोमांस तो बेचारा खिड़की से आता है (या शायद रोशनदान से) लेकिन सेक्सुअल हैरासमेंट का नोटिस दरवाजे से आता है। ऑफिस रोमांस में जब खटास और बदमजगी आती है , तो स्थितियां बदल जाती हैं। इसीलिए कंपनियां अब चाह रही हैं कि ' लव कॉन्ट्रैक्ट ' पहले ही साइन करा लिए जाएं ताकि कानूनी चक्करों से बचा जा सके। यह अलग बात है कि ' लव कॉन्ट्रैक्ट ' में भी कई छेद हैं। स्पष्ट है कि कोई लड़की ग्लैमरस पोशाक में दफ्तर में आती है , तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वह प्रेम के लिए ' अवेलेबल ' है। पर केंद्रीय समस्या यह है कि तथाकथित वर्क एडरीनल बढ़ाने के लिए जो चीज ठंडी हवा की तरह है वही चीज जब दूसरे प्रकार के एडरीनल तेज कर देती है तो गर्म हवाएं झुलसा भी देती हैं। सुंदर और ग्लैमरस सहयोगी देख कर बॉस भी अच्छे कपड़े पहनने लगता है , चहकने लगता है , महंगे इत्र ढूंढने लगता है। आधुनिक जीवन का यह विचित्र विरोधाभास है।
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