शनिवार, 9 अगस्त 2008
छोटे-छोटे लक्ष्य
कुछ लोग अपने लिए एक बड़ा लक्ष्य तय करते हैं। वे अपना ध्यान हर समय उसी पर केंद्रित रखते हैं और उसे पाने के लिए अपनी हर सुख-सुविधा का त्याग तक कर देते हैं। इनमें से कई सफल भी हो जाते हैं। अपना लक्ष्य हासिल कर उन्हें सार्थकता का अहसास होता है। लेकिन यह जीने का एक तरीका है। ऐसे लोग ज्यादा हैं जिनका लक्ष्य बहुत दूरगामी नहीं होता। अगर होता भी है तो वे उसे लेकर ज्यादा गंभीर नहीं रहते। वे छोटे-मोटे उद्देश्य तय करते हैं और उसके लिए बहुत ज्यादा कष्ट भी नहीं उठाते। मिल गया तो मिल गया, नहीं भी मिला तो कोई गम नहीं। ऐसे लोगों के जीवन को हम निरर्थक नहीं कह सकते, क्योंकि प्रयास करने का भी अपना एक सुख है। हो सकता है छोटे-मोटे सुखों को तवज्जो देने वाले शख्स ने जीवन के विभिन्न आयामों को उस व्यक्ति से ज्यादा छुआ हो जो एक बड़े मकसद के लिए तात्कालिक अनुभवों को नजरअंदाज कर देता है। इसीलिए छोटे मकसद को लेकर चलने वाला आदमी अपने तयशुदा लक्ष्य से अक्सर ज्यादा ही हासिल करता है।
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