सोमवार, 19 सितंबर 2011

दिल दहलाने वाली सुबह की फोन की घंटी


सुबह-सुबह करीब छह बजे फोन की घंटी घनघना उठी। मैं गहरी नींद में था। फोन रीसिव करने की इच्छा नहीं हो रही थी। घंटी दोबारा बजी तो मैंने फोन उठा लिया। उधर से एक हमारे निकट संबंधी का फोन था। वे इससे पहले तक बस कारोबार से जुड़े रहे थे। उन्होंने बताया कि आपको मालूम है कुमार अभय बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई है और काफी लोग मर चुके हैं। दिल दहला देने वाली इस खबर से मेरे रूह कांप उठे। इसका कारण भी था, क्योंकि कुमार अभय बस के मालिक मेरे संबंधियों में से एक रहे हैं। उससे ज्यादा उस बस के चालक, कंडक्टर भी हमारे काम के थे। यदि कुछ घर से मंगाना होता था तो बस के चालक व कंडक्टर से फोन कर मंगवा लिया करते थे। घटना की सूचना मिलने के बाद दिन भर उनके चेहरे और उनके साथ हुई पुरानी बातें याद आने लगी। वाकई यह फोन की घंटी काफी दिल दहलाने वाली थी। ईश्वर इस सड़क दुर्घटना में मारे गए यात्रियों व बस कर्मियों की आत्मा को शांति प्रदान करें।

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