बुधवार, 25 अगस्त 2010
ये मासूम हैं!
ये मासूम हैं! इन्हें नहीं पता कि सावधानी हटी, दुर्घटना घटी, पर यह नजारा जानलेवा जरूर है। ये बच्चे पश्चिमी सिंहभूम जिले के डांगवापोसी के कई स्कूलों के छात्र हैं। ये सभी रेलवे ओवरब्रिज के अभाव में जान-जोखिम में डाल कर हर दिन शिक्षा की ज्योति जलाने जाते हैं। लेकिन इस नाजारे के लिए कौन है जिम्मेदार? नागरिक प्रशासन, रेल प्रशासन या अभिभावक। हम तो यही चाहेंगे कि हम सभी समय रहते जल्द से जल्द चेत जाएं।
रविवार, 15 अगस्त 2010
शनिवार, 14 अगस्त 2010
अतुल्य भारत!
जहां शहीदों को मिलते हैं सिर्फ एक लाख रुपये
-चावल 40 रुपये किलो, सिम कार्ड मुफ्त
देश जहां स्वतंत्रता दिवस की 63वीं वर्षगांठ मना रहा है, वहीं दूसरे ओर पूरा भारत महंगाई व भ्रष्टचार से जूझ रहा है।
देश को 'अतुल्य भारत' की संज्ञा दी जा रही है। लेकिन एक बहुत बड़सा सवाल है हमारे देश में 'ओलंपिक निशानेबाज को स्वर्ण पदक मिलता है तो सरकार उसे तीन करोड़ रुपये देती है। मगर जब हमारे बहादुर सैनिक आतंकवादियों से मोर्चा लेते हुए शहीद हो जाते हैं तो सरकार की जेब से सिर्फ एक लाख रुपये ही निकल पाते हैं। वाकई अतुल्य भारत!'
डायन महंगाई खाये जात है।
'हमारे देश में चावल 40 रुपये किलो मिलता है लेकिन मोबाइल का सिम कार्ड मुफ्त मिलता है। ऐसा देश है मेरा! यहां कार लोन पांच प्रतिशत ब्याज दर जबकि छात्रों को शिक्षा ऋण 12 प्रतिशत ब्याज दर पर मिलता है।'
देश में लगातार बढ़ रही कन्या भ्रूण हत्या की घटना बढ़ रही है। मंदिरों में कुछ लोग दुर्गा देवी की पूजा करते हैं पर घर में लड़कियों के पैदा होने से पहले उनकी हत्या कर देते हैं। यही नहीं पिज्जा यहां एम्बुलेंस से पहले पहुंच जाता है.. ऐसा देश है मेरा।'
-चावल 40 रुपये किलो, सिम कार्ड मुफ्त
देश जहां स्वतंत्रता दिवस की 63वीं वर्षगांठ मना रहा है, वहीं दूसरे ओर पूरा भारत महंगाई व भ्रष्टचार से जूझ रहा है।
देश को 'अतुल्य भारत' की संज्ञा दी जा रही है। लेकिन एक बहुत बड़सा सवाल है हमारे देश में 'ओलंपिक निशानेबाज को स्वर्ण पदक मिलता है तो सरकार उसे तीन करोड़ रुपये देती है। मगर जब हमारे बहादुर सैनिक आतंकवादियों से मोर्चा लेते हुए शहीद हो जाते हैं तो सरकार की जेब से सिर्फ एक लाख रुपये ही निकल पाते हैं। वाकई अतुल्य भारत!'
डायन महंगाई खाये जात है।
'हमारे देश में चावल 40 रुपये किलो मिलता है लेकिन मोबाइल का सिम कार्ड मुफ्त मिलता है। ऐसा देश है मेरा! यहां कार लोन पांच प्रतिशत ब्याज दर जबकि छात्रों को शिक्षा ऋण 12 प्रतिशत ब्याज दर पर मिलता है।'
देश में लगातार बढ़ रही कन्या भ्रूण हत्या की घटना बढ़ रही है। मंदिरों में कुछ लोग दुर्गा देवी की पूजा करते हैं पर घर में लड़कियों के पैदा होने से पहले उनकी हत्या कर देते हैं। यही नहीं पिज्जा यहां एम्बुलेंस से पहले पहुंच जाता है.. ऐसा देश है मेरा।'
मंगलवार, 10 अगस्त 2010
इंसान एक बार जीता है, एक बार मरता है और एक बार ही प्यार करता है...
जिंदगी में इंसान को कई बार प्यार हो सकता है। यह बात दूसरी है कि पहला प्यार कोई भुला नहीं पाता। लेकिन सच्चा प्यार बड़ी ही मुश्किल से किसी को नसीब होता है...आज की हाईटेक लाइफस्टाइल में प्यार की परिभाषा बदल गई है...प्यार भी हाईटेक हो गया है...लोग प्यार कई चीजें देखकर करने लगे हैं...मसलन जेब...सैलरी...लाइफस्टाइल...और इन सबसे बढ़कर ये मायने रखता है कि आप सामनेवाले से ज्यादा हाईप्रोफाइल हैं या नहीं...साथ ही उनके जैसी समतुल्यता (equilibrium) रखते हैं या नहीं...आज प्यार ने अपनी परिपक्वता (puberty) को हासिल कर लिया है...
शनिवार, 7 अगस्त 2010
गुरुवार, 5 अगस्त 2010
झारखंड : इनपुट
स्थापना : 15 नवंबर, 2000 (भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर।)
जनसंख्या : 2,69,09,428 (2001 की जनगणना के अनुसार)
पुरुष : 1,38,61,277
महिला : 1,30,48,151
प्रति व्यक्ति आय : 4161 रुपये
कुल साक्षरता : 59.6 फीसदी (2007 में)
पुरुष साक्षरता : 69.7 फीसदी (2001 में)
महिला साक्षरता : 39.38 फीसदी
(2001 में)
जनसंख्या घनत्व : 338 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी।
जिला : 24
अनुमंडल : 35
ब्लॉक : 212
गांव : 32,620
विद्युतीकरण : 45 फीसदी गांवों में।
सड़क : 4662 गांवों में
कुल क्षेत्रफल : 79.70 लाख हेक्टेयर
कृषि योग्य क्षेत्र : 38 लाख हेक्टेयर
कृषि उपयोग में आ रहे क्षेत्र : 18.04 लाख हेक्टेयर (कुल क्षेत्र का 25 फीसदी)
सिंचित क्षेत्र : 1.57 लाख हेक्टेयर (कृषि उपयोग में आने वाली भूमि का मात्र आठ फीसदी)
----------------------
झारखंड और नक्सलवाद :
बहुमूल्य खनिजों को अपने समेटे झारखंड की धरती की लाली नक्सली करतूतों से भी लंबे अरसे से रक्तरंजित होती रही है। यह राज्य नक्सली और माओवादी हिंसाओं की सबसे अधिक विभीषिका झेलने वाले राज्यों में से एक रहा है। देश के कुल क्षेत्रफल का महज 7.8 होने के बावजूद झारखंड का 92,000 वर्ग किलोमीटर नक्सल प्रभावित लाल गलियारे में तब्दील हो चुका है। हालांकि यह भी गौर करने वाली बात है कि प्रभावित क्षेत्र की एक बड़ी आबादी घोर गरीबी और उपेक्षा से पीडि़त है। सुविधाएं यहां नगण्य हैं। जबकि यह इलाका प्राकृतिक संसाधनों और वनौषधियों से संपन्न हैं। साथ ही देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
जनसंख्या : 2,69,09,428 (2001 की जनगणना के अनुसार)
पुरुष : 1,38,61,277
महिला : 1,30,48,151
प्रति व्यक्ति आय : 4161 रुपये
कुल साक्षरता : 59.6 फीसदी (2007 में)
पुरुष साक्षरता : 69.7 फीसदी (2001 में)
महिला साक्षरता : 39.38 फीसदी
(2001 में)
जनसंख्या घनत्व : 338 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी।
जिला : 24
अनुमंडल : 35
ब्लॉक : 212
गांव : 32,620
विद्युतीकरण : 45 फीसदी गांवों में।
सड़क : 4662 गांवों में
कुल क्षेत्रफल : 79.70 लाख हेक्टेयर
कृषि योग्य क्षेत्र : 38 लाख हेक्टेयर
कृषि उपयोग में आ रहे क्षेत्र : 18.04 लाख हेक्टेयर (कुल क्षेत्र का 25 फीसदी)
सिंचित क्षेत्र : 1.57 लाख हेक्टेयर (कृषि उपयोग में आने वाली भूमि का मात्र आठ फीसदी)
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झारखंड और नक्सलवाद :
बहुमूल्य खनिजों को अपने समेटे झारखंड की धरती की लाली नक्सली करतूतों से भी लंबे अरसे से रक्तरंजित होती रही है। यह राज्य नक्सली और माओवादी हिंसाओं की सबसे अधिक विभीषिका झेलने वाले राज्यों में से एक रहा है। देश के कुल क्षेत्रफल का महज 7.8 होने के बावजूद झारखंड का 92,000 वर्ग किलोमीटर नक्सल प्रभावित लाल गलियारे में तब्दील हो चुका है। हालांकि यह भी गौर करने वाली बात है कि प्रभावित क्षेत्र की एक बड़ी आबादी घोर गरीबी और उपेक्षा से पीडि़त है। सुविधाएं यहां नगण्य हैं। जबकि यह इलाका प्राकृतिक संसाधनों और वनौषधियों से संपन्न हैं। साथ ही देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
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