गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

महंगाई की नीम पर चढ़ा मिलावट का करेला


कामन इंट्रो-
जितनी तेजी से महंगाई बढ़ रही है उससे कहीं ज्यादा तेजी से खाद्य सामग्रियों में मिलावट किये जाने के मामले सामने आ रहे हैं। लोग महंगाई की चपेट में तो आकंठ डूबे हैं लेकिन मिलावटी चीजें आम लोगों के स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचा रही हैं। एक तो महंगाई और उसपर मिलावट की शिकायतें। इस दोहरी मार से आम आदमी बेहाल है। इस समस्या से जहां सरकार चिंतित है वहीं मिलावट का धंधा करने वाले दिन दूनी रात चौगुनी गति से पनप रहे हैं। उपभोक्ता की जेब से पहले की तुलना में ज्यादा पैसे निकल रहे हैं लेकिन उसके एवज में जो सामग्री मिल रही है उसकी गुणवत्ता संदिग्ध होना बड़ी समस्या खड़ी कर रहा है। आम लोग इस समस्या को गंभीरता से लिये जाने की जरूरत बता रहे हैं। लेकिन कठोर कार्रवाई की कौन कहे, मिलावट की जांच करने का तंत्र में कोई धार नजर नहीं आ रही। लौहनगरी को ही बानगी के तौर पर लिया जाय तो सचाई का पता लगाया जा सकता है। शहर में खाद्य पदार्थो में मिलावट की जांच के लिए करीब आठ माह से सेंपल तक नहीं लिये गये हैं। पिछले वर्ष काफी तेजी से आवश्यक वस्तुओं व खाद्य पदार्थो की कीमतों में इजाफा तो हुआ ही, इसके चलते बढ़ी मिलावटखोरी की समस्या से निपटने के लिए भी कोई ठोस उपाय नहीं किये गए। प्रस्तुत है महंगाई व मिलावट की पड़ताल करती अशोक सिंह की रिपोर्ट :

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महंगाई के नीम पर चढ़ा मिलावट का करैला
-जमशेदपुर में नौ माह से आवश्यक वस्तुओं व खाद्य पदार्थो के जांच को सेंपल तक नहीं लिये गये-
जमशेदपुर : शहर में करीब नौ माह से आवश्यक वस्तुओं व खाद्य पदार्थो के सेंपल तक नहीं लिये गये हैं। दूसरी ओर खाद्य निरीक्षकों के उदार रवैये से मिलावट खोरी करनेवाले तेजी से फल-फूल रहे हैं। आलम यह है कि चावल, दाल, आटे, मसाले, स्वीट्स के अलावा कई खाद्य सामग्रियों में मिलावट ज्यादा हो रहे हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि महंगाई व मिलावट के खेल में आम आदमी खुद को काफी परेशान व विवश महसूस कर रहा है।


मिलावट करने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो
-ये बहुत नाजुक हालात हैं। ऐसा लग रहा है मानो सबकुछ खर्च करने के बावजूद समस्यायें जस की तस बनी रह रही हैं। महंगाई का सिलसिला कब तक यूं ही चलता रहेगा, समझ से परे है। आवश्यक वस्तुओं व खाद्य पदार्थो में मिलावट रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिये।
अंजली श्रीवास्तव, साकची
-महंगाई व मिलावट की समस्या से निपटने के लिए सरकार को काई ठोस कदम उठाने चाहिये। इसके अलावा आम आदमी को भी जागरूक हो सकारात्मक योगदान देना चाहिये। महंगाई इतनी है कि पहले हम सेलेक्शन करते थे अब आप्शन तलाशना पड़ता है।
प्रशांत खरे, साकची
-बात महंगाई पर नहीं मिलावट पर करता हूं। मिलावट सभी खाद्य पदार्थो में हो रही है। हालांकि बड़ी-बड़ी कंपनियां रीटेल में आयी है। इस पर हम काफी हद तक विश्वास कर सकते हैं। कम से कम खुदरा व छोटी-मोटी किराने की दुकान से तो यह बेहतर विकल्प है।
डा. श्रीकृष्ण नारंग, पूर्व वैज्ञानिक, एनएमएल
-बाजार में ब्रांडेड कंपनियों के डुप्लीकेट सामानों की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। ऐसे में यह तय करना मुश्किल है कि उक्त आवश्यक वस्तु को खरीदें या नहीं। ऐसे में कंपनियों को अपने ब्रांड की डुप्लीकेसी होने से रोकने के लिए उपाय करना चाहिये। साथ ही मिलावट करने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिये।
डा. मनीषा, सुपरवाइजर फ्लैट, साकची
-महंगाई से घर की थाली अछूती नहीं रही है। लेकिन खाने पीने के सामान आसमान छू रहे हैं। लेकिन इससे कहीं ज्यादा तकलीफ खाद्य पदार्थो में मिलावट से हो रही है। महंगाई से कही ज्यादा मिलावट की मार खतरनाक है। ऐसे कारोबार को रोकने के लिए सरकार के साथ-साथ समाज को भी सहयोग करना होगा।
मधु गिरी, सुपरवाइजर फ्लैट, साकची
समाज के अराजक तत्व मिलावट जैसे जघन्य अपराध कर रहे हैं। सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए न जाने कई लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। हमारे समाज में जैसे किसी को जहर खिलाने का अधिकार नहीं है वैसे ही यह भी अनाधिकार है।
स्वाती नारंग, गीतांजली गार्डेन, गोलमुरी

उपभोक्ताओं को जागरूक होने की आवश्यकता : प्रो. मिश्रा
खाद्य पदार्थो में हो रही मिलावट पर राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित कई कार्यशालाओं को संबोधित करने वाले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर में कृषि विभाग के प्रो. एचएन मिश्रा मानते हैं कि इस संबंध में सबसे अधिक आवश्यकता आम उपभोक्ता को जागरूक होने की है। प्रो. मिश्रा बताते हैं कि अरहर दाल अथवा बेसन में खेसारी दाल की मिलावट का पता लगाने के लिए उसे करीब 15 मिनट तक पानी में मिलाकर रख दें। यदि घोल में पिंक कलर उत्पन्न होता है, तो निश्चित है कि उसमें मिलावट है। इसी तरह देशी घी में वनस्पति घी की मिलावट को पहचानने के लिए दो-तीन मिलीलीटर घी का नमूना लेकर समान मात्रा में हाइड्रोक्लोराइड एसिड मिलाएं। दोनों को आग पर गर्म करें और शक्कर के कुछ दाने मिलाएं। यदि घी में वनस्पति घी की मिलावट है, तो लाल रंग उत्पन्न हो जायेगा। ऐसे छोटे-छोटे उपाय हैं, जिसे अपनाकर लोग मिलावट की पहचान कर सकते हैं। प्रो. मिश्रा बताते हैं कि चूंकि मिलावटी खाद्य पदार्थो के सेवन से होने वाली बीमारियां काफी धीमी गति से पनपती हैं इसलिए लोग इसे जल्दी समझ नहीं पाते और जब तक जानकारी होती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसे रोकने के लिए सरकार को भी सख्त कदम उठाने होंगे।

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