गुरुवार, 14 अगस्त 2008

मैं क्या हूं, मेरे मोबाइल से पूछो

भविष्य में किसी से यह सुनना कितना अटपटा होगा कि अपने मोबाइल फोन से वह सिर्फ बात करता है। जरा आज से आठ-दस साल पहले के दौर को याद कीजिए। मोबाइल या सेलफोन किसी-किसी के पास हुआ करता था और उससे वह सिर्फ बात कर पाता था, तो भी वह उसके स्टाइल स्टेटमंट का हिस्सा था। और वह मोबाइल फोन भी ईंट या हथौड़े जैसे हुआ करता था, जिसे संभालना अपने आप में एक जहमत भरा काम था। पर इस दौरान मोबाइल बदल गया। इतना बदला कि अब लोग उससे महज बात नहीं करते। उससे फोटो खींचते हैं, उस पर रेडियो और गाने सुनने हैं। इंटरनेट और बैंकिंग से जुड़े काम तक मोबाइल फोन से होने लगे हैं, मोबाइल फोन पर फिल्में देखने का एक नया ट्रेंड चल पड़ा है और खुद मोबाइल के नए से नए वर्जन सामने आ रहे हैं। पर फ्यूचर में मोबाइल फोन कैसा होगा। मुमकिन है कि वह किसी स्विस नाइफ की तरह हो। यानी एक ऐसा गैजेट, जिससे तरह-तरह के दर्जनों काम हो सकते हों। उनके आकार-प्रकार में भी ऐसी तब्दीलियां हो सकती हैं, जिनके बारे में हम फिलहाल अंदाजे ही लगा सकते हैं। जैसे नेकलेस या ईयर-रिंग में मोबाइल फोन फिट हो सकता है, हम उसे मनचाहे आकार में बनवा सकते हैं, चाहें तो माउथ ऑर्गन शेप में या चेसबोर्ड के रूप में मोबाइल को डिजाइन करवा लें। ऑर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद से मोबाइल फोन ऐसे दोस्त में बदल सकता है, जो हमारे अकेलेपन का सबसे उम्दा साथी साबित हो सकता है। मोबाइल फोनों को आगे चलकर ज्यादा से ज्यादा इको-फ्रेंडली भी होना है। उन्हें बिजली भी बचानी है और बेकार हो जाने पर पर्यावरण के दुश्मन के रूप में भी नहीं बदलना है। पर सबसे बड़ी संभावना यह है कि मोबाइल फोन हमारी आइडेंटिटी के पुख्ता प्रमाण के तौर स्थापित हो जाएं। आज जिस तरह से व्यक्ति की पहचान के लिए राशन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड या पैन कार्ड की जरूरत होती है, उसी तरह भविष्य में लोगों की पहचान का एक जरिया मोबाइल फोन हो सकता है। उसका यूनीक नंबर और सबसे अलहदा डिजाइन व्यक्ति और उसकी पसंद-नापसंद को जाहिर कर सकती है। लेकिन मोबाइल फोन के साथ एक निश्चित खतरा भी जुड़ा है। खतरा यह है कि उन्हें खत्म हो जाना है। काफी हद तो वे अभी भी खत्म हो चुके हैं, उनका बाकी शरीर भी धीरे-धीरे ओझल जाएगा। तब शायद एक ऐसा गैजट हमारे हाथ में होगा, जिसमें कंप्यूटर, इंटरनेट, डिजिटल फोटो कैलंडर, डीवीडी प्लेयर, आईपॉड समेत फोन की खूबियां भी होंगी। जाहिर है, तब हम उस गैजेट को मोबाइल फोन तो हरगिज नहीं कहना चाहेंगे।

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